नि
संतान
दम्पति
लम्बे
समय
तक
डॉक्टरी
सहायता
में
उलझे
रहते
हैं
।
ईलाज
के
बारे
में
उपयुक्त
जानकारी
उपलब्ध
न
होने
के
कारण
समस्या
गंभीर
होने
लगती
है
।
मरीज
तो
इस
बात
से
ही
बेखबर
होते
हैं
कि
डॉक्टरी
सहायता
कब
और
किस
डॉक्टर
से
लेनी
चाहिए
।
औरतों
के
पास
समय
सिमित
होता
है
| इस
समय
में
औरत
की
जनन
-शक्ति
पूरी
कायम
होती
है
अधिक
समय
बीत
जाने
पर
मीनोपॉज
(मासिक
धर्म
का
बंद
हो
जाना
) तक
पहुँच
जाती
है
और
ऐसा
होने
से
विशेसग्य
और
नि
संतान
दम्पत्ति
दोनों
के
लिए
कठिनाई
उत्पन्न
हो
जाती
हैं
।
यदि
आरंभ
में
ही
नि:सन्तता
का
कारण
पता
चल
जाये
तो
मरीज
के
ठीक
होने
की
संभावना
बहुत
अधिक्
होती
है
।
संतान
के
लिए
इछुक
दम्पत्ति
की
ओर
से
एक
वर्ष
तक
कोशिश
करने
के
बावजूद
संतान
प्राप्त
करने
में
सफलता
मिलती
हुई
न
दिखाई
दे
तो
उसे
तुरंत
नि
:संतान
रोगों
के
विशेसग्य
से
डॉक्टरी
सहायता
लेनी
चाहिए
।
औरत
की
आयु
25 वर्ष
हो
तो
एक
वर्ष
तक
इंतज़ार
किया
जा
सकता
है
।
इससे
अधिक
आयु
में
एक
वर्ष
के
इंतज़ार
का
समय
भी
अधिक
है
।
35 वर्ष
तक
छह
महीने
बाद
और
40 वर्ष
तक
3 महीने
बाद
डॉक्टरी
सहायता
के
विशेसग्य
से
संपर्क
करना
चाहिए
।
40 वर्ष
से
अधिक
आयु
वाली
प्रत्येक
इछुक
औरत
को
डॉक्टरी
सहायता
की
आव्शयकता
होती
हैं
।
यदि
औरत
को
पहले
से
ही
इस
बात
की
पता
हो
तो
उससे
अनियमित
माहवारी,एंड्रोमेट्रोसिस
, पॉलीसिस्टिक
ओवरी
हैं
या
उसका
पहला
गर्भ
टियूब
में
ठहरा
हैं
तो
एक
दिन
का
भी
इंतज़ार
किये
भीना
बिना
तुरंत
डॉक्टरी
सहायता
ले
।
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